"बस ख्याल ही तो है जो अब यूँही चली आती है , और तो कोई रूबरू होकर भी सलाम नहीं करता"।
बस यही सोच ख्यालों में खोये रहना उस कम्बख्त का काम था । दिन रात हरामी बिस्तर पैट पड़े पल्लग तोड़ता रहा था।
हम साले office से थके हारे जब PG के room में पहुचते तो कमीना हाँथ में phone लिए youtube पर videos मज़े ले रहा होता था, और हमेशा की तरह कमीना पानी भरने भूल जाता था।
इन हरकतों से हरामी को पीटने का मन तो करता था पर वो खाना बड़ा अच्छा पकाता था, बस यू कह लो की उसके स्वाद ने हमें उससे बिना किराया लिए उस आलसी के साथ बांध रखा था, वरना उसकी हरकते उसके पिछवाड़े पर लात मारने वाली थी।
अब ये न पूछना क्या उधार मांगना न की सिर्फ पैसे और कपडे साला चड्डियां भी हमारी ही पहन लेता था और कहने पर कहता "यार उलट कर पहनी थी तुझे tension नहीं होगी।"
एसा था हमारा माणिक लाल ।
एक दिन शाम के आया तो bottle में पानी भी था और मेज़ पर ढाका खाना भी, मुझे लगा आज कुत्ते की दुम सीधी होगयी है सायद। मगर वो कमरे में था नहीं वरना आज उसे गले लगा लेता।
मैंने उसे फ़ोन मिलाया तो फ़ोन switch off बता रहा था, मैने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया सोचा मारा रहा होगा कही।
मै कपडे खोले और अपनी अलमारी से towel निकालने चला , अलमारी का दरवाज़ा खुला था थोड़ा सुरप्रिसिंग तो था पर पहले भी मैंने उसे बहुत बार भूल से खुला छोड़ा था । पर खोलते ही मेरी हवाईयां उड़ गई मेरा locker खुला था और 15000 PG का Rent और खाने के पैसे गायब थे।
मैने नज़ारे घुमाई तो ध्यान पड़ा माणिक का सामान भी कमरे में नहीं था , मतलब साफ था हरामी पैसे लेकर भाग गया और phone भी बंद कर रखा है।
मुझे उससे कुछ खास उमीद तो नहीं थी पर चोर बनना मेरी expectation से बहार था ।
मैने मन ही मन उसे लाखो गालियां दी और कर भी क्या सकता था जो भड़ास निकलने को था वो किया और भूलने की कोशिस की कोई कमीना मेरा room partner था पर एक बात तो थी कभी ज़िन्दगी में दूबारा मुलाकात होती तो साले का मुँह जरूर तोड़ता।
तीन महीने बीत गये थे मै भी वो सब भूल चुका था ।office से Room पंहुचा तो Room का दरवाज़ा खुला था अंदर देखा तो माणिक बिस्तर पर लेटा पड़ा था उसे देखते ही सारा उबाल अंदर आगया मैने उसकी माता को समरण करते हुए बोला "माँधारचोद बाप का बैंक समझ रखा है फिर से चोरी करने आया है।"
और एक ज़ोर की घुसण्ड साले के मुँह पर जमा
डालउसका मुह लहूलुहान होगया वो संभल पता की मै ने उसे दो चमेटे और मारी और उसे धक्का देकर मैने कमरे से बहार निकल दिया।
रात को नीचे PG manager ने माणिक के बारे में मुझसे पूछा की" वो कहाँ है चला गया क्या?"
मैने कहा "नहीं धक्के मार कर निकल दिया।"
वो बोला "क्या अरे वो तो तेरे को पैसा देने को आया था, उसका बाप मर गया तीन महीने पहले क्रया कर्म कभी पैसे नहीं थे घर पे तो उसने तेरे पैसे लिए और अब वो एक ढाबे में 6000 में काम करता है और तुम्हारे पैसे लौटाने का इंतज़ाम कर रहा था।"
मैने कहा "झूठ बोला साला ,, अगर ये बात थी तो phone off क्यों किया था " मेनेजर ने बोला "उसका phone चोरी होगया था station पर और तुम्हाता number भी उसी में था तो आगे कांटेक्ट नहीं कर पाया"।
मेरे अंदर guilt भर गया उस छण समझ नहीं आया की क्या करूँ कमरे में आया और अलमीरा खोला तो उसमें पैसे रखे थे मुझे उसे छूने की हिम्मत नहीं हो रही थी।
मै station की तरफ भगा उसे खोजने की कोशिस भी की पर वो मिला नहीं ।
मै बस उससे माफ़ी मांगना चाहता था , उसके घर का पता भी तो मालूम नहीं था मुझे।
बस एक ख्याल ने मुझे उसके खिलाफ नफरत से भर दिया ।
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